नमस्कार दोस्तों ,
मेरा नाम हैं, प्रेम , और आप हैं I LEARN, WE LEARN पर ।
1 अप्रैल 2017 से सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार केवल
बीएस4 गाडियाँ ही मार्केट मे होंगी, ऐसा कहा गया था । सारे
डीलर और बाइक विक्रेता ने सस्ते दामों मे गाडियाँ बेच दी थी । तो आइये जानते हैं की
आखिर ऐसा क्या था की BS4 गाडियाँ जरूरी हो गयी हमारे लिए , तो आज जान लेते हैं की आखिर क्या हैं ये ? और BS4
और BS3 से क्या अलग हैं गड़ियों मे।
BS एक भारत की मानक पैमाना हैं, जिसे हर गाड़ी बनाने वाली कंपनी को मानना होता हैं । BS एक पैमाना तय करती हैं। BS प्रमुख्त: गाड़ी से उत्सर्जित
हानिकारक गैस से
आने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार द्वारा दिया गया मानक
है। यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित किया जाता है। BS मानक आम तौर पर देश में चल रहे सभी वाहनों पर लागू होता है।
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| Air-Suction-Valve |
BS2 स्टैंडर्ड सन 2000 मे लागू की गयी
थी, जिसके अंतर्गत आपके इंजन मे एक Air-Suction-Valve लगाया जता था जो आपकी गाड़ी से निकलने वाली कार्बन-मोनो आक्साइड को कार्बन-डाई-आक्साइड
मे बदल देता हैं, जिससे आपकी गाड़ी थोड़ा कम प्रदूषण करती थी ।
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| कैटलिक कनवर्टर |
2010 मे BS3 वाली गाडियाँ
आनी शुरू हुई, जिसमे एक और उन्नयन (up gradation) किया गया, अब आपके गाड़ी के साइलेंसर मे एक कैटलिक कनवर्टर
का इस्तेमाल किया गया । ये कैटलिक कनवर्टर आपके गाड़ी से निकालने वाली हानिकारक प्रदूषक
को कम हानिकारक उत्सर्जन में बादल कर वातावरण मे छोड़ती हैं । बहुत सी भारतीय गाड़ियों
मे कंपनी ने केवल कैटलिक कनवर्टर का ही इस्तेमाल किया लेकिन कुछ गाड़ियों मे कैटलिक
कनवर्टर और Air-suction- valve दोनों का इस्तेमाल किया गया ।
इसके बाद 2017 मे BS4
गाडियाँ आयी , इसमे Air-suction- valve को हटाकर इसमे एक canister लगाया गया । ये canister आपकी गाड़ी मे पेट्रोल की टंकी
के ठीक नीचे लगाया जाता हैं । canister आपके गाड़ी मे पेट्रोल
के वाष्पीकरण को रोकाता हैं इससे पहले केवल निकलने वाली गैस को ही नियंत्रित किया जाता
था और उसे साफ बनाकर वातवरण मे छोड़ा जाता था । लेकिन यह देखा गया की जब आप गाड़ी चलते
हैं तो चलने पर टंकी का ऊपरी हिस्सा गर्म होकर पेट्रोल को कुछ प्रतिशत तक वाष्पीकृत
होता था जिससे बचने के लिए canister का इस्तेमाल किया गया, ये कार्बन canister पेट्रोल के वाष्पीकरण को रोककर उसे
पुन: उपयोग मे लाता हैं और बचे कण को वातावरण मे छोड़ देता हैं जिससे सल्फर के कुछ कण वातावरण मे आने से बच जाते हैं । इस तकनीक
से वाहनों मे 80% तक वाहन कम प्रदूषण फैलाते हैं । जबकि BS3 केवल 65% तक ही ऐसा कर
सकते हैं ।
इसके अलावा BS4 मे एक और फंकशन और जोड़ा गया जिसे AHO कहा जाता हैं –
नोट- ये तकनीक बाइक(मोटर-साइकिल) पर इस्तेमाल होने
वाली एक तकनीक हैं , कार अर्थात फोर-व्हीलर पर दूसरी
तकनीक काम मे लाई जाती हैं ।
AHO- Automatic
Headlamp On, इस तकनिक का इस्तेमाल जान-माल की
हानी और भविष्य मे दुर्घटनाओ पर अंकुश लगाने के लिए किया, इसके
तहत आपकी गाड़ी की हेड-लाइट इंजन क साथ ही शुरू हो जाएगी और ये हमेशा हेड-लाइट को ऑन
ही रहेगी । बहुत से लोगो का मानना था की ये बेकार तकनीक हैं लेकिन सरकार ने इसका
उपयोग घटनाओ को रोकने के लिए किया ताकि आमने-सामने से गुजरने वाली गाड़ियों को आपकी
दृश्यता सही ढंग से दिखे ।
2020 मे BS5 या BS6
से लैस गाडियाँ आने की संभावना हैं जो 90% तक प्रदूषण को रोक पाएंगे
।
तो उम्मीद करता हूँ की आज का टॉपिक पसंद आया होगा
।
ऐसे ही जानकारी के लिए जुड़े रहिए ILEARN-WELEARN पर ।














